मराठी एस.एम.एस.

तुझ्याशिवाय जगणं काय जगण्याचं स्वप्नसुध्दा पाहू शकत नाही,श्वासाशिवाय काही क्षण मी जगू शकतो,पण तुझ्याशिवाय एकही क्षण जगू शकत नाही.
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तुझ्यावर रागवणं तुझ्यावर रुसणं मला कधी जमलंच नाही कारण तुझ्याशिवाय माझं मन दुस-या कुणात रमलंच नाही.
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ऋतू बदलत जातात दिवस उजाडतो,मावळ्तो सागरालाही येत राहते ओहोटी आणि भरती बदलत नाहीत ती फ़क्त माणसा माणसांमधली अनमोल नाती...... प्रेमाची !
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तु येणार असताना मध्येच पावसावं येणं कळत नाही,पण तुझ्या प्रेमाएवढा त्यात भिजण्याचा त्यात आनंद मिळ्त नाही.
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रातराणी उमलावी तशी उमलतेस,मनापासून दरावळतेस, खरं सांगू का तुला मला तू खूप आवडतेस.
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एक मनी आस एक मनी विसावा तुझा चंद्र्मुखी चेहरा रोजच नजरेस पडावा नाहीतर तो दिवसच नसावा.
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असे असावे प्रेम केवळ शब्दानेच नव्हे तर नजरेने समजणारे.असे असावे प्रेम केवळ सावलीतच नव्हे उन्हात साथ देणारे.असे असावे प्रेम केवळ सुखातच नव्हे तर दुखातही साथ देणारे.
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प्रेम म्हणजे काय असतं ते मला ठाऊक नाही प्रेम म्हटल्यावर फ़क्त तुझंच नाव दिसतं म्हणूनच ते मझ्यासाठी प्रेम असतं.
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तुला काहीतरी सांगावं मनात ब-याचदा येऊन गेलं.सांगणार होतो खूप काही शब्दावाचून राहून गेलं.
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बोलत नाहीस पण हसतेस मी बघितले की लाजतेस नक्की प्रेम करतेस ? का मला उगीचच कोड्यात असे टाकतेस.
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मनात तुझ्या नसतानाही मागे वळून पाहशील का ? तुझ्याचसाठी थांबलो इथे दोन शब्द बोलशील का ? पाहून पाहून दमलो मी अखेर तू पाहशील का ? कोंडल्या भावना,वाट देशील का ? स्वप्न पाही मन माझं तुझंही असच होतं का ? मनात तुझ्या नसतानाही कबुल तू करशील का ?
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अक्षर उमटतं पण शब्द सुचत नाहीत अक्षराच्या खेळात आता अक्षरच सूचत नाहीत तुला काय एस एम एस करु झोळी माझी खाली आहे शब्दांसाठी भुकेला मी भिकारी पेक्षा भिकारी आहे एसएमएस करायला कुणाचा रिप्ले मिळत नाहे,भिक मागून सुद्धा कुणी माणूसकी दाखवत नाही.
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जीवन जगता जगता एकदाच प्रेम करायचं असतं तेच प्रेम आयुष्यभरं मनात जपायचं असतं.  
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माझ्यावर तुझे प्रेम आहे असे मला समजले आहे.तुझ्या ओठांनी नाही पण तुझ्या डोळ्यांनी सांगितले आहे.सत्य आहे की भास हे समजण्यासाठी ह्य चार ओळी लिहिल्या आहेत.  
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तू माझ्यावर प्रेम करणं,म्हणजे सूर्याच पश्चिमेकडे उगवणं आणि मी तुझ्यावर प्रेम करणं, म्हणजे माझं दिशाहीन जगणं.  
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समईला साथ आहे जोतीची,अंधाराला साथ असते प्रकाशाची, चंद्राला साथ असते चांदण्याची, प्रेमाला साथ असते फ़क्त दोघांची.  
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मुसळधार पाऊस... छत्री एकच हवेत गारवा...मनात अंगार पाऊस चिंबचिंब...भिजलेला कधी तुझ्या..मनात कधी माझ्या..मनात.
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तू जवळ नसलीस की असं वाटतं तुझ्याबरोबर बरंच काही बोलावं पण तू जवळ आलीस की असं वाटतं तुझ्याखाद्म ऎक टक पाहतच रहावं.  

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